khatu shyam ji status hindi
खाटू श्याम जी का क्या इतिहास है?
खाटू श्याम जी को राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी पूजा जाता है। खाटू श्याम जी के प्रसिद्ध मंदिर सीकर जिले में स्थित है। यहां पर प्रत्येक वर्ष फागुन मास को खाटू श्याम जी का मेला भरता है जिसे लकी मिले नाम से भी जाना जाता है। इस मेले में लाखों की संख्या में भक्तगण बाबा के दर्शन को आते हैं।
यह मेला हिंदू मास में फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को शुरू होता है तथा बारस तब चलता है। इस मेले में खाटू श्याम जी की भक्तों द्वारा झांकियां भी निकाली जाती हैं।
खाटू श्याम जी का संबंध द्वापर युग से बताया जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के वरदान से ही की खाटू श्याम जी कलयुग में भगवान श्री कृष्ण के नाम श्याम से पूजा जाएंगे। खाटू श्याम जी द्वापर युग में बाबरिक थे। खाटू श्याम जी भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे। जिनका नाम बर्बरीक था। बर्बरीक एक महान तथा पारंगत योद्धा थे। बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पढ़ना इसके पीछे बर्बरीक का बलिदान की कहानी है।
पुराणों में कहा जाता है कि द्वापर युग में जब महाभारत युद्ध का निर्णय लिया गया तब बर्बरीक ने घोर तपस्या कर नवदुर्गा को प्रसन्न किया और वरदान में तीन अमोग तथा अचूक बाण मांगे। तभी से बर्बरीक तीन बाण धारी नाम से भी जाने जाते हैं। जब महाभारत युद्ध के लिए राजा महाराजा एकजुट हो रहे थे तो बाबरिक ने या निर्णय लिया कि जिस सेना का पड़ला भारी होगा उसके विरुद्ध वे युद्ध लड़ेंगे ।
महाभारत युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध में पांडवों के पक्ष में रहना निश्चय किया । कौरवों को अपनी सात अक्षौहिणी सेना तथा पांडवों में अर्जुन का सारथी बनने का निर्णय लिया। जब यह बात बर्बरीक को पता चली की स्वयं भगवान श्री कृष्ण पांडवों के पक्ष में रहकर अर्जुन के साथ ही बनेंगे तो पांडवों का पलड़ा भारी हो जाएगा। अतः बर्बरीक ने कौरवों के पक्ष में युद्ध लड़ने का निर्णय लिया।
यह बात श्री कृष्ण को रास नहीं आई और वे बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण रूप में बर्बरीक के पास पहुंचे। उन्होंने लाख समझाया पर बर्बरीक ने अपना कौरव के पक्ष में युद्ध लड़ने का निर्णय नहीं बदला। इस पर क्रोधित होकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक पर अपने सुदर्शन चक्र से वार किया जिसके कारण बर्बरीक का सर धड से कटकर अलग हो गया।
बाद में श्री कृष्ण ने अपने चतुर्भुज रूप के दर्शन देकर बर्बरीक को यह वरदान दिया कि तुम कलयुग में भी मेरे नाम से पूजा जाओगे। लोग तुम्हें खाटू श्याम जी के नाम से भी पूजेंगे। वरदान प्राप्त कर बर्बरीक ने एक विनती की मैं महाभारत का युद्ध अपनी आंखों से देखना चाहता हूं इस पर प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने बर्बरीक को कुरुक्षेत्र के सबसे ऊंचे स्थान पर बिठा दिया।
महाभारत युद्ध का एकमात्र साक्षी बर्बरीक ही था जिसने वास्तविक रुप से महाभारत में हुए नरसंहार को अपनी आंखों से देखा था। इस प्रकार बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पड़ा।
khatu shyam ji status hindi-
हारे का सहारा है, इससे ज्यादा कोई राज नहीं।
जिसके सिर पर हाथ हो ,इसका इससे महंगा कोई ताज नहीं।।
मुझे इस वक्त चाहिए ना धन दौलत
मुझे बाबा आपका साथ चाहिए
संकट आने से पहले श्याम आता है
क्यों घबराऊ मैं मेरा तो श्याम से नाता है।।
मैं नहीं जानता बाबा क्या मेरी हस्ती होगी
जिधर तू जाएगा उधर ही मेरी कश्ती होगी।
श्याम नाम अनमोल खजाना जो बोले सो पाएगा
बाकी सारा इस धरा का यही धरा रह जाएगा।
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- कोई कहता है चांद से प्यारा है तू
कोई कहता है हारे का सहारा है तू
पर दुनिया वाले क्या जाने तुझे श्याम
मेरे लिए तो जीने का सहारा है तू।। - हाथों में ले श्याम ध्वजा
मन में ले विश्वास
लो चल चले हम खाटू धाम
अब पूरी होगी आज।। - वह शरीर ही किस काम का
जो नाम ना ले श्याम का। -
हारे का सहारा है
खाटू श्याम हमारा है।
मोर छड़ी और काली कमली होठों पर मुस्कान है
बिन मांगे जो भर देता झोली ऐसा है हमारा श्याम
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