बाबा रामदेव जी को द्वारकाधीश का अवतार क्यों कहा जाता है?
बाबा रामदेव जी को द्वारकाधीश का अवतार माना जाता है । इसके पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि पोकरण पर अजमाल जी का शासन हुआ करता था। अजमाल जी हर तरह के सुख भोग चुके थे, परंतु पुत्र सुख से वंचित थे। कई वर्ष हो जाने के बाद भी उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो पाई, इसलिए वहां की जनता उन्हें बांझ कहती थी तथा अजमाल जी का मुख भी देखना पसंद नहीं करती थी।
अजमाल जी को उनकी जनता अपशकुन मानकर अनादर करती थी। परंतु इस बात का पता उन्हें नहीं था। जब एक दिन अजमाल जी अपने नगर के भ्रमण हेतु निकले तब उनके सामने कुछ लोग आए और अजमाल जी को देखकर वापस लौट गए। तब अजमाल जी ने सेवक से पूछा इसका क्या राज है। सेवक ने अजमाल जी से कहा कि लोग आपका मुंह देखना पसंद नहीं करते तथा आप को बांजिया कहते हैं।
यह सुनकर अजमाल जी को बहुत दुख हुआ और वे इस दुख के समाधान हेतु अपने आराध्य श्री द्वारकाधीश के मंदिर जा पहुंचे। वहां पर मैंने अपना दुख प्रकट किया परंतु द्वारकाधीश की ओर से कोई उत्तर न पाकर अजमाल जी और अधिक क्रोधित हो गए। अजमाल जी को लगा की द्वारकाधीश उनका उपहास कर रहे हैं तब अजमाल जी ने द्वारकाधीश की मूर्ति पर लड्डू की जोर मारी।
यह देख कर मंदिर का पुजारी भी क्रोधित हो गया और अजमाल जी को कहा की आपको द्वारकाधीश यहां नहीं मिलेंगे वह तो शिरसागर में निवास करते हैं। पंडित द्वारा यह वचन सुनकर अजमाल जी दुखी होकर शिरसागर में कूद पड़े। तथा द्वारकाधीश के चरणों में जा गिरे।
द्वारकाधीश के दर्शन पाकर अजमाल जी प्रसन्न हुए और द्वारकाधीश के माथे पर खून देखकर दुखी हुई। और द्वारकाधीश से पूछा आपकी माथे पर खून कैसे आया इसका कारण बताइए। द्वारकाधीश ने नम्र स्वभाव से कहा यह तो एक भक्त का प्रसाद है, भक्त ने गुस्से में आकर लड्डू की दे मारी। यह सुनकर अजमाल जी को अपने किए पर पछतावा हुआ और द्वारकाधीश से माफी मांगने लगे।
द्वारकाधीश ने अजमाल जी को माफ करते हुए उनके पास आने का कारण पूछा। अजमाल जी ने कहा मुझे पुत्र रत्न की इच्छा है लोग मुझे बांझिया कहते हैं तथा मेरा मुख देखना भी पसंद नहीं करते हैं। अगर आप मुझसे प्रसन्न है तो मुझे पुत्र रत्न प्राप्ति का वरदान दीजिए।
यह सुनकर द्वारकाधीश अजमाल जी से कहा आप क्यों चिंता करते हैं आप की चिंता का निवारण मैं ही हूं। यह कह कर द्वारकाधीश ने अजमाल जी को वरदान देते हुए कहा “भादू रे री दूध रो जद चंदो करे प्रकाश रामदेव बण आवसु राखी जे विश्वास”अर्थात भाद्रपद मास की द्वितीय को मैं स्वयं आपके घर रामदेव के रूप में अवतार लूंगा।
यह सुनकर अजमाल जी बहुत प्रसन्न हुए और द्वारका जी से पूछा मुझे कैसे पता चलेगा की मेरे घर साक्षात द्वारकाधीश ने अवतार लिया। अजमाल जी के इस संक्षय का निवारण करते हुए द्वारकाधीश ने कहा मेरे अवतार लेने के ठीक बाद आपके घर में कुमकुम के पगलिया के निशान बनेंगे तथा पानी का दूध बन जाएगा और मूसलाधार बारिश होगी।यह सुनकर आज माल जी अपने महल लौट गए ।
द्वारकाधीश ने अपने वरदान की पूर्ति हेतु भाद्रपद मास की द्वितीय को अजमाल जी की घर अवतार लिया। अवतार लेते ही आंगन में कुमकुम रा पगलिया, पानी रो दूध तथा मूसलाधार बारिश हुई और वह बालक आगे चलकर रामदेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इसी कारण बाबा रामदेव जी को द्वारकाधीश का अवतार भी कहा जाता है।
Baba ramdevji status Quotes
कण कण में है बाबा आपका ही वास है
हर भक्त के लिए आप और हर भक्त आपके लिए खास।
कोई दौलत का दीवाना, कोई शहर का दीवाना,
शीशे सा दिल है मेरा, मैं तो सिर्फ रुणिचा का दीवाना।
जब जमुना मुश्किल में डाल देता है,
तब मेरे बाबा हजारों रास्ते निकाल देते हैं।
बाबा के भक्त हैं, हर हाल में मस्त हैं
जिंदगी एक कुआं है इसलिए हम मस्त हैं।
ramsapir
किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते हैं,
और बदलने वाले को रुणिचा का नाथ कहते हैं।
यह तेरा कर्म था कि तूने मुझे अपना दीवाना बना दिया,
मैं खुद से था पराया तूने मुझे अपना बना दिया।
रामापीर तेरे बगैर सब व्यर्थ है मेरा,
मैं शब्द तेरा तू अर्थ है मेरा।
जय रामापीर, हे रणुजा रा नाथ, से अलख धणी,
जीतेंगे हर बाजी, बस देना हर पल साथ मेरा।
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