Ramdevra mela 2022
इसे राजस्थान रामदेवरा का भादवा मेलाRamdevra mela 2022 भारत के लोकप्रिय देवताओ में से एक बाबा रामदेवजी के समाधि स्थल पर लगता हैके कुम्भ के नाम से भी जाना जाता है इस मेले का प्रारम्भ सावन के शुक्ल पक्ष से ही हमे यात्रियों की चहल पहलदेखने हो मिलती भारत के अलग अलग राज्यों से आने वाले यात्री अपनी पैदल था संघ के साथ 40 से 50 दिन ही अपने स्थान से रवाना हो जाते है और भादवा आते आते रामदेवरा के निकट पहुंच जाते है इस समय बाबा रामदेवजी रामसापीर के पैदल यात्रियों का जमावड़ा लग जाता है।
Ramdevra mela me ghumne ki jagah – रामदेवरा मेला में घूमने की जगह
बाबा रामदेवजी की नगरी रामदेवरा में घूमने लायक काफी स्थान हे साथ साथ यह जगह भक्तो के आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है और बाबा रामदेवजी समाधि स्थल के निकटवर्ती स्थानों के बारे में जानेगे
रामदेवरा में घूमने लायक स्थान-
- बाबा रामदेवजी मंदिर रामदेवरा
- रामसरोवर तालाब
- परचा बावड़ी
- जुला पलना
- डाली बाई मंदिर
- रूणिचा कुआ
- पेनोरमा
रामदेवरा में जब मेला लगता है तब पुरे रामदेवरा में लाखो भक्त मौजूद रहते है और ऊपर जिन स्थानों के बारे में बताया हे यह समाधि स्थल के आस पास मौजूद है।
Ramdevra mela में आप आके क्या क्या कर सकते हो ??
सबसे पहले रामदेवरा मेला में भक्तो का 1 ही भावना से आते है वो है रामसापीर के दर्शन करना था हो सके तो आरती के भव्य दर्शन में मौजूद रहना बाबा रामदेवजी के दर्शन के बाद भक्त बाबा रामदेवजी के रामसरोवर तालाब पे पहुंचते है बाबा के रामसरोवर के पानी को गंगा के सामान मानते है रामसरोवर तालाब के बाद अन्य स्थानों का भ्रमण करते है बाबा के भक्त
Ramdevra mela में भक्तो को क्या क्या मिलता है ?
ranuja baba ramdevji mela खास तोर पे रामदेवरा का बाजार बाबा के प्रसाद भोग गूगल धुप बाबा की तस्वीर मुर्तिया इत्यादि के लिए काफी ज्यादा प्रशिद्ध है
बाबा रामदेवजी की जयंती 2022 में 5 सितम्बर को है
बाबा रामदेवजी के लोक रचित भजन /हरजस
मोया तो रामदेवजी मोया, म्हारा पीरजी मोयी रे बणराय ।
चंपो मरवो केवड़ो, धिन तो रामदे धिन म्हारा पीरजी ।।
मारवाड़ खंड रौ लोग ओढ़ण लाखी वारै लोवड़ी।
ऊभा तो रामदेवजी, ऊभा म्हारा पीरजी, सीतल बड़ले री छांय ।
बड़लो बूठो गज मोतियां, दिवले झिगमिग मांडियो अ राणी ।
मुख सूं केयो नहीं जाय, डाळी चारे पीरां रा डाळी बाछड़ा।।
बेसो तो रामदेजी बेसो म्हारा पीरजी,
सिवरी मण्डप रे मांय, सरगां उतारूं हर री पालखी ।
केवौ तो रामजी केवो म्हारा पीरजी,
जायसां जायसां सरगां
जालम दर्जी द्वारा कृत बाबा रामदेवजी आरती
बाबा रामदेवजी के कई भक्त हुवे उन्होंने अपने अपने समय तथा बोली के हिसाब से बाबा रामदेवजी की आरती लिखी तथा आज दिन तक इन आरतियो का प्रचलन है उन्ही में से एक यह आरती है।
रुणझुण बाजै घूघरां, घोड़ां रा बाजै पोड़ जी।
लीले री असवारी आवै, रामापीर जी करूं आरती ।। टेर ।।
पिचरंग नेजा फरहरै, जठै रमिया रामापीर जी।
रेंवत चढ़िया रामदे, ओ भळहळ भालो हाथ जी ।। 1 ।
रुणझुण..
पिछम धरां रै मारगां एक अलबेलो असवार जी ।
लीलो रे हींसै धरणी धूजै, अलख करै उपकार जी।। 2 ।।
रुणझुण…
आंधला री बाबो खोलै आंखियां, कोढ़ियां रौ कळंक झड़ायजी ।
बांझीयां नै बाबो बाळक देवै, पांगळां नै पांव देरायजी ।। 3 ।।
रुणझुण…
दूरे देसां रा आवै जातरी, मेळो भरै भरपूर जी।
जालम दरजी री वींणती, थे म्हारा मांय’र बापजी ॥ 4 ॥
रुणझुण…
रूणझुण बाजे घूघरा, घोड़ां रा बाजै पोड़ जी।
लीले री असवारी, आवै रामापीर जी।। करूं आरती ।।
रामदेवरा तथा यह लगने वाले मेले से संबधित और भी जानकारी के लिए दिए गए आर्टिकल पढ़ सकते है
जय बाबा री
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